गोरखा रेजिडेंट से खौफ खाते है ये 2 देश !


आखिर क्यों ऐसा कहा जाता है कि मरने से नहीं डरते ये सैनिक ? सेना के सबसे बहादुर सिपाही होते है ये सैनिक ! साहस की जीती जागती मिसाल है ये सैनिक ! लड़ने को हमेशा तैयार रहते है ये सैनिक !

वैसे तो भारत की सेना का हर एक सैनिक जांबाज़ होता है लेकिन भारत की सेना के शान है ये सेनिक ! आज हम आपको ऐसे सैनिको के बारे में बताएँगे जो अपनी बहादुरी और निडरता के लिए पहचाने जाते है अंग्रेज भी इनके साहस और युद्ध कौशल से इतने प्रभावित हुए कि इनको ब्रिटिश इंडियन आर्मी में शामिल कर लिया गया ! हम बात कर कर रहे है गोरखा सिपाही ! ये ऐसे सिपाही है जिनकी पहचान है खुकरी ! जिनका नारा है जय महाकाली, आयो गोरखाली !

युद्ध के दौरान गोरखा खुकरी को अपने दुश्मन का सिर काटने के लिए इस्तेमाल करते है ! खुकरी एक 12 इंच का तेज़धार खंज़र होता है गोरखा अपने साथी को मुसीबत में फंसा देख छोड़ कर नहीं भागते बल्कि मरने मारने ले लिए तैयार हो जाते है हालात कैसे भी हो ये हर समय लड़ने के लिए तैयार रहते है गोरखा रेजिमेंट के बारे में मानेकशॉ ने कहा था, ‘अगर कोई कहता है कि उसे मौत से डर नहीं लगता तो वह या तू झूठ बोल रहा है या वह गोरखा है। इन सैनिको का कहना है कि कायर होने से तो मरना अच्छा है और फिर ये दुश्मन पर टूट पड़ते है

‘गोरखा रेजिमेंट्स की शुरुआत 24 अप्रैल, 1815 को हुई थी। भारतीय सेना में गोरखा रेजिमेंट्स के सेनिक आज़ादी के समय ब्रिटिश और नेपाल के राजा के द्वारा किये समझौते के आधार पर काम करते है ये सैनिक भारत, नेपाल और ब्रिटेन की सेनायों में काम करते है दरअसल गोरखा एक जिला है जो नेपाल में अपने योधायो के लिये जाना जाता है ऐसा माना जाता है कि इन सैनिको में प्राकृतिक रूप से ही कोई वरदान होता है जो इन्हें जाबाज योधा बनाता है !

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जब भारत ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था तब ब्रिटिश साम्राज्य की तरफ से नेपाल के 2 लाख गोरखा सैनिक युद्ध में उतरे थे और उन्होंने दुश्मनों को नाको चने चबा दिए थे जिनकी बहादुरी के किस्से आज भी हमें सुनने के लिए मिलते है भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इन्होने ब्रिटिश सेना का साथ दिया था !

आजादी के समय भारत, नेपाल और ब्रिटेन के बीच एक सझौते के अंतर्गत ब्रिटिश भारतीय सेना का हिस्सा रही और  भारत को 6 गोरखा रेजिमेंट मिले ! आजादी के बाद सातवी और दसवी गोरखा राईफल को भारतीय सेना में शामिल करने के लिए सातवी गोरखा रेजिमेंट बनायी गयी ! और अव भारत में 7 गोरखा रेजिमेंट है जिनमें 39 बटालियन है गोरखा सैनको की पहचान है इनकी तिरछी हैट और 12 इंच का तेज़धार खंजर खुकरी !

गोरखा रेजिमेंट का चिन्ह भी खुकरी है इनके बारे में यह कहा जाता है कि एक बार जब गोरखा अपनी खुकरी को बहार निकाल लेता है तो दुश्मन का खून बहाए बिना वापिस मयान में नहीं जाती ! भारतीय सेना की गोरखा रेजिमेंट ने चीन और पकिस्तान के खिलाफ हुयी सभी लड़ाईयो में दुश्मन तो धुल चटाई थी ! इन जाबाज सैनिको को अव तक 11 वीर चक्र, 2 महावीर चक्र 3 अशोक चक्र और 1 परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चूका है ! भारतीय सेना में इस समय 1 लाख 20 हज़ार गोरखा सैनिक है जो देश की रक्षा के लिए हर वक़्त तैयार रहते है 

गोरखा रेजिडेंट से खौफ खाता है चीन और पकिस्तान !

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