चाय बेचने वाले के बारे में जरूर जानना चाइये


कुरुक्षेत्र से एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहाँ एक चाय बेचने वाले के ऊपर बेंकों का 50.76 करोड़ का लोन निकला है ! दरअसल आर्थिक हालात ख़राब होने के कारण लॉकडाउन के दौरान करियाना व दूध वाले का कर्ज चुकाने के अलावा अपना चाय का काम फिर से शुरू करने के लिए 50 हजार रुपये के पर्सनल लोन के लिए एक फाइनेंस कंपनी में एप्लाई किया था। कंपनी ने लोन देने से मना करने के बाद इसका कारण पता करने पर मिली जानकारी ने इस व्‍यक्ति के होश उड़ गए। उस पर 50 करोड़ 76 लाख रुपये के बैंक लोन निकले।

दरअसल फाइनेंस कंपनी ने उसको यह कहकर लोन देने से इन्कार कर दिया कि आपका सिबिल स्कोर ठीक नहीं है। उन्होंने इसकी डिटेल निकलवाई तो उनके नाम 50 करोड़ 76 लाख 20 हजार रुपये दिखाए गए। इनमें सबसे बड़ी राशि 50 करोड़ 50 लाख रुपये है। यह लोन 27 अप्रैल 2013 का दिखाया गया है। अब चाय वाला परेशान है। डीसी धीरेंद्र खडगटा ने बताया कि इस तरह का मामला मेरी जानकारी में नहीं है। ऐसी कोई शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।

कुरुक्षेत्र से सटे गांव दयालपुर के राजकुमार ने बताया कि वह कुरुक्षेत्र के थानेसर शहर में आहुवालिया चौक पर चाय की रेहड़ी लगाता है। उसने लॉकडाउन में उसकी चाय की दुकान बंद रही थी। उसने घर चलाने के लिए करियाने और दूध की उधार की थी। अब अनलॉक-1 से चाय की रेहड़ी लगानी शुरू की, लेकिन चाय की मांग अपेक्षाकृत कम है। करियाना व दूध की उधार देनी थी। उसने जुलाई के पहले सप्ताह में रेलवे रोड कुरुक्षेत्र स्थित एक फाइनेंस कंपनी में 50 हजार रुपये के पर्सनल लोन के लिए एप्लाई किया था। 16 जुलाई को उसको फोन कर बताया कि आपका सिबिल स्कोर ठीक न होने पर लोन नहीं दिया जा सकता।

राजकुमार ने बताया कि उसने अपना सिबिल रिकॉर्ड निकलवाया तो वह हैरान रह गया। उसके रिकॉर्ड में 16 लोन दिखाए गए हैं। इनमें 50.50 करोड़ का 27 अप्रैल 2013 का कॉमर्शियल व्हीकल लोन दिखाया गया है। कई लोन तो हर महीने दिखाए गए हैं। इसके अलावा किसान क्रेडिट, ऑटो व ट्रैक्टर लोन दिखाया गया है। उसकी सिबिल रिपोर्ट में 57 करोड़ 75 लाख 20 हजार रुपये के लोन दिखाए गए हैं।

राजकुमार ने बताया कि उसके पास साइकिल है और इसी पर हर रोज गांव से शहर आता-आता है। पिता पूर्ण सिंह को सरकार की योजना में 100 गज का प्लॉट मिला था। उसमें तीसरा हिस्सा उसको मिला हुआ है। उसने इसमें अपना मकान बनाया हुआ है। परिवार का गुजर बसर मुश्किल से चल पाता है। उसकी रिपोर्ट में किसान क्रेडिट कार्ड पर 1,86,808 रुपये का लोन दिखाया जा रहा है। जबकि उसके पास घर के सिवाय खेती के लिए कोई जमीन नहीं है।

राजकुमार ने बताया कि उसके साथ बड़ा खेल खेला जा रहा है। उसने 30 सितंबर 2015 को 20 हजार रुपये का मुद्रा लोन लिया था। इस राशि में अपनी चाय की दुकान शुरू की थी। इसका 17119 रुपये इसका जमा कराना बाकी है। सिबिल रिपोर्ट में उसका लोन को नहीं दर्शाया गया, जबकि बाकी मोटी राशि के लोन उसकी रिपोर्ट में दिए गए हैं। उसके गांव के पड़ोसी पवन कुमार ने उसके साथ ही एप्लाई किया था। उसको लोन दे दिया गया, जबकि उसकी एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दी गई।

राजकुमार ने 2015 में मुद्रा लोन लिया था। उस समय भारतीय स्टेट बैंक में उसका लोन मंजूर कर दिया। वह अब लोन लेने गया तो उसकी सिबिल रिपोर्ट ठीक नहीं बताया जा रहा। जबकि 50-50 करोड़ रुपये का बड़ा लोन 27 अप्रैल 2013 का है। यह लोन कॉमर्शियल व्हीकल का है।रिटायर्ड बैंक अधिकारी एसके सेठ ने बताया कि पुराने समय में किसी तरह की लोन एप्लीकेशन मिलने पर खुद सर्वे किया जाता था। अब सिबिल रिपोर्ट देखी जाती है। व्यक्ति का रिकॉर्ड ठीक चल रहा होता है तो उसको लोन देने में कोई दिक्कत नहीं होती। 50.76 करोड़ रुपये किसी के खाते में दिखाना बड़ा सवाल है। यह तकनीकी गड़बड़ी भी हो सकती है।

मेरे पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है। जिले में किसी के लोन की इतनी बड़ी आउट स्टेंङ्क्षडग नहीं है। इसमें तकनीकी खामी रही होगी। राजकुमार को संबंधित बैंक मैनेजर से मिलकर अपना सिबिल ठीक करा सकता है। अगर बैंक में उसको परेशानी होती है तो वह उनसे संपर्क कर सकता है। उनको किसी तरह की परेशानी नहीं आने दी जाएगी।

 


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