यूँ तो कहा जाता है कि भगवान् को प्रसन्न करने के लिए यदि सच्चे मन से उनकी पूजा की जाए तो भगवान् तक हमारी बात अवश्य पहुँचती है लेकिन फिर भी कईं बार हमारा मन पूजा-पाठ की सही व् गलत विधि-विधानों में उलझ जाता है. ऐसे में हम आपकी उलझन को कम करने के लिए कुछ ऐसे उपाय ले कर आयें है जो आपके लिए बेहद लाभदायक हो सकतें है.

अक्सर देखा जाता है कि हर घर में एक मंदिर अवश्य होता है पूजा दैनिक जीवन का शांतिपूर्ण और महत्वपूर्ण कार्य है लोग सुवह उठते ही नहा-धो कर भगवान् कि पूजा-अर्चना करके अपने दिन कि शुरुआत करते है विद्वान कहते है कि सुबह के समय दैवीय शक्तियां जागृत होती है इसलिए सुवह के समय पूजा अवश्य करनी चाहिए. किन्तु आजकल की इस भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में कुछ लोग इश्वर की पूजा शाम के वक़्त करते है सुवह और शाम कि पूजा का अपना-अपना महत्व होता है और आज हम आपको इस लेख ले माध्यम से बताएँगे कि यदि शाम के वक़्त पूजा की जाती है तो हमे कुछ सावधानियों का ध्यान रखना जरुरी है नहीं तो हमारी पूजा सफल नही होगीं और न ही हमारी मनोकामना पूरी होगी. क्यूंकि शाम के वक़्त असुर शक्तियां जागृत हो जाती है. तो चलिए जानते है क्या है वो सावधानियां?
शाश्त्रों के अनुसार हमें घर के मंदिर में कभी भी ज्यादा बड़ी मुर्तिया नही रखनी चाहिए यदि आप शिवलिंग रखना चाहते है तो शिवलिंग हाथ के अंगूठे से बड़ा न हो, किसी भी भगवान् कि 2 मूर्तियाँ नहीं होनी चाहिए और मंदिर में खंडित मूर्तियाँ रखना बहुत ही अशुभ होता है.घर में पूजा का स्थान पूर्व या पश्चिम की और होना चाहिए और पूजा करते वक़्त आपका मुख पूर्व या पश्चिम कि ओर रखना चाहिए. ये सबसे जयादा शुभ होता है लेकिन ध्यान रखे गलती से भी आपको दक्षिण दिशा की ओर मुख नही रखना चाहिए.घर में मंदिर को ऐसी जगह बनाए जहाँ सूर्य कि रौशनी अवश्य आये. जिन घरों में सूर्य कि किरने और ताज़ी हवा आती है उन घरों में कईं वास्तु और नाकारात्मक दोष अपने आप दूर हो जाते है और सकारात्मक उर्जा का वास होता है
पूजा करते वक़्त घंटी और शंख बजाना बहुत ही शुभ माना जाता है, शाश्त्रों के अनुसार घंटी और शंख कि आवाज से नकारात्मकता नष्ट होती है और घर में सकारात्मकता का वास होता है.पूजा रूम में चमड़े से बनी कोई भी वस्तुं, जूता, चप्पल, पर्स, बेल्ट इतियादि न लेकर जाए और पूजा रूम कितना भी बड़ा हो उसे स्टोर रूम कि तरह इस्तेमाल नही करना चाहिए.पूजा में बासी फल, फूल नही करना कहिये, तुलसी के पत्ते और गंगा जल कभी भी बासी नही होते. कोई भी फल या फूल ख़राब हो तो उसको भगवान् को अर्पित न करें
पूजा स्थान के पास कभी भी शोचालय नही होना चाहिए, ये बहुत ही अशुभ होता है. यदि फिर भी आपका बाथरूम पूजा स्थान के पास है तो बाथरूम वाली दिवार पर पूजा स्थान कभी भी नहीं होना चाहिए.वर्ष भर में कभी भी कम से कम एक बार गौ मूत्र का छिडकाव जरुर करें. शाश्त्रों के अनुसार गौ मूत्र का छिडकाव करने से घर कि पवित्रता बनी रहती है और यह बहुत ही चमत्कारी होता है. इससे दैवीय शक्तियों का वास होता है.भगवान् को तुलसी अवश्य चढ़ाये परन्तु ध्यान रखे तुलसी को रविवार, वीरवार, पूर्णिमा और संध्या काल को न तोड़ें.सूर्य उपरान्त के बाद देवी देवतायें विश्राम के लिए चले जाते है इसलिए शाम के समय शंख व् घंटियाँ न बजाये. रोज रात को सोने से पहले मंदिर को परदे से अच्छी तरह ढक दें ताकि भगवान् के विश्राम में कोई भी वादा उत्पन्न न हो.सुबह शाम आरती करते समय दो कपूर और दो लौंग अपनी आरती में डालें, शाम के समय तेजपत्ता अपने घर में जरुर जलाये.

शाम के समय पूजा करते समय एक दिया तुलसी जी के लिए जलाए, एक दिया अपने पितरों के लिए जलाए और एक दिया लक्ष्मी माता के लिए जरुर जलाये. अगर आपकी परेशानी आपके बिज़नस को लेकर, काम धंदे को लेकर है तो आपको एक दिया हनुमान जी के लिए जरुर जलाना चाहिए और आप देखेंगे कि आपके जीबन में कैसे बदलाव आता है और आपकी सारी परेशानियाँ दूर हो जाती है