भगवान् विष्णु जी के पैर क्यों दबाती है माता लक्ष्मी ?


हर कोई लक्ष्मी प्राप्ति की इच्छा रखता है माता लक्ष्मी केवल उन्ही से प्रसन्न होती है जिनके ऊपर  भगवान् विष्णु जी की कृपा होती है  क्यूंकि देवी लक्ष्मी भगवान् विष्णु जी के चरणों में वास करती है ! शाश्त्रो में या भगवान् विष्णु जी की कोई तस्वीर हो उनमें यही देखने को मिलता है कि देवी लक्ष्मी सदैव उनके चरणों में बैठी रहती है !  कुछ लोगो का मानना है कि जब महिला पुरुष के चरण को दबाती है तो उससे धन लाभ की प्राप्ति होती है ! क्या यही वास्तविक कारण है ? क्या ऐसा मानना सही है या गलत ? क्या वास्तविक जीवन में भी ऐसा ही होता है  आईये जानते है विस्तार में !

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार देव ऋषि  नारद जी माता लक्ष्मी से पूछते है कि माता आप भगवान् विष्णु जी के पैर क्यों दवाते हो तो माता  लक्ष्मी जी ने कहा कि ग्रहों के प्रभाव से कोई अछुता नहीं है चाहे कोई मनुष्य हो या कोई देव सभी पर इनका प्रभाव अवश्य पडता है ! स्त्री के हाथ में देव गुरु ब्रहस्पति जी का वास होता है और पुरुष के चरणों में दैत्य गुरु शुक्राचार्य का ! इसलिए जब कोई स्त्री अपने हाथो से पुरुष के पैर दवाती है तो देव और देत्या के मिलने से धनलाभ का योग बनता है ! यही कारण है कि मैं हमेशा अपने स्वामी के चरण दवाना पसंद करती हूँ ! दोस्तों लक्ष्मी उन्ही के पास रहती है जिनका मन निश्छल हो और सभी के कल्याण की भावना रखता हो !

इस कथा के इलावा कुछ लोगो की अलग मान्यता है हिन्दू पौराणिक दस्तावेजो के अनुसार देवी लक्ष्मी की एक बड़ी बहिन है जिनका नाम अलक्ष्मी है ! धन, सौभग्य और वैभव की देवी माता लक्ष्मी को माना जाता है वहीँ अलक्ष्मी को गरीबी, दरिद्रता, दुर्भाग्य का प्रतीक  माना  जाता है भगवान् विष्णु जी इस जगत के पालनहार है और देवी लक्ष्मी ब्रमांड के इन्ही पालनहार को दरिद्रता और दुर्भाग्य  से बचाने के लिए उनके चरणों में बैठी रहती है अलक्ष्मी बहुत कुरूप होने के कारण अविवाहित है ! कहा जाता है कि अलक्ष्मी कभी अपने रूप में तो कभी लक्ष्मी की सवारी उल्लू के रूप में , देवी लक्ष्मी के पीछे-पीछे पहुँच जाती है यहाँ तक कि जब देवी लक्ष्मी भगवान् विष्णु जी के साथ होती है तो अलक्ष्मी वहां भी पहुच जाती है ! देवी लक्ष्मी को अपनी बहन का ये वर्ताव दुखी करने  लगा तो उन्होंने एक दिन अलक्ष्मी से पूछा कि आखिर तुम चाहती के हो ? क्यों मेरे पति के पास पहुँच जाती हो ?  तो अलक्ष्मी कहती है कि मेरे कुरूप होने के कारण न तो मेरा विवाह हुआ है और नहीं मैं पूजनीय हूँ इसलिए जहाँ -जहाँ तुम जाओगी मैं तुम्हारे ही साथ रहूंगी !

यह बात सुन देवी लक्ष्मी ने क्रोधवश अलक्ष्मी को श्राप दे दिया ! उन्होंने कहा कि अबसे मृत्यु के देवता ही तुम्हारे पति है और जहाँ भी आलस, इर्ष्य गन्दगी, लालच ,रोष और अस्वचता रहेगी  ,तुम्हारा वास वहीँ होगा ! यही कारण है कि माता लक्ष्मी भगवान् विष्णु जी के चरणों में लगी अस्वचता को साफ़ करती है ताकि अलक्ष्मी उनके निकट न जा सके ! यहाँ माता लक्ष्मी एक देवी नहीं बल्कि एक पत्नी के स्वरूप में रहती है ताकि अपने पति को पराई स्त्री से दूर रख सके ! शाश्त्रो के अनुसार माना गया है कि सौभाग्य और दुर्भाग्य दोनों एक साथ ही चलते है ! जब सौभाग्य आता है तो दुर्भाग्य भी घर के बाहर अपने लिए एक अवसर की तलाश में बैठा रहता है कि कब वहां से सौभाग्य जाये और दुर्भाग्य अन्दर परवेश कर सकें ! इसलिए दुर्भाग्य को दूर रखने के लिए घर में रोज साफ़-सफाई,पूजा-पाठ,  सकारात्मकता बनाये रखना बहुत जरुरी है !


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