पिछले महीने से भारत और ची ‘न के बीच का सम्बन्ध काफी तनावपूर्ण है जिसके चलते मोदी सरकार ने देश की सु’रक्षा को देखते हुए कई महत्वपूर्ण फैंसले लिए है जिससे ची ‘न को काफी गहरा प्रभाव पड़ा है ! भारत ने ची ‘न को एक के बाद एक झटका देना शुरू किया जससे ची ‘न काफी बो खला गया है !और समझ गया है कि उसने भारत के साथ पं गा लेकर गलत किया है ! साथ ही उसने दुनिया के अन्य ता कतवर दे शो को भी अपना दु श्मन बना लिया है ! अब भारत सरकार के द्वारा एक और स’ख्त फैंसला जिया गया है जिससे ची ‘न को एक बार फिर एक बड़ा झटका लगा है !
बता दें कि केद्र सरकार के द्वारा लिए गए फैंसले में सरकारी खरीद में चीन की मुश्किलें अब काफी जादा बढ़ गयी है ! दरअसल राष्टीय सुरक्षा को देखते हुए ये फैंसल लिया गया है कि अब केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से होने वाली खरीद में चीनी कंपनियों को बोलो लगाने की मंजूरियां नहीं है ! इस कदम को उठाने के लिए केंद्र का मकसद केवल राष्टीय हित और राष्टीय सुरक्षा ही है ! केंद्र ने जनरल फाइनेंशियल रूल्स 2017 में संशोधन किया गया है और इस नियम को उन सभी देशो के बोलीदाताओं ऊपर लागू जिया गया है जिन देशो की सीमा भारत की सींमा के बिलकुल निकट है और जिसका प्रभाव सीधे तौर पर चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल आदि पर पड़ने वाला है !
कॉम्पीटेंट अथॉरिटी से कराना होगा रजिस्ट्रेशन
केंद्र सरकार ने इस नियम के तहत एक छुट भी दी है जिसके अनुसार भारत की सीमा के निकट यदि कोई देश की कम्पनियां कॉम्पीटेंट अथॉरिटी से रजिस्टर्ड होंगी तभी वह कंपनियां गुड्स और सर्विस (कंसल्टेंसी और नॉन-कंसल्टेंसी) की बोली लगाने के लिए योग्य मानी जाएगी ! कॉम्पीटेंट अथॉरिटी का गठन डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री ऐंड इंटर्नल ट्रेड (DPIIT) की तरफ से किया जाएगा. इसके लिए विदेश और गृह मंत्रालय से भी मंजूरी लेनी होगी.
बड़े पैमाने पर पड़ेगा असर
इस आदेश के दायरे में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों, स्वायत्त निकायों, केंद्रीय लोक उपक्रमों, सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाली परियोजनाओं को भी लिया गया है जो सरकार या उसके अंतर्गत आने वाली इकाइयों से वित्तीय समर्थन हासिल करती हैं. राज्य सरकारों की खरीद को लेकर उचित प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, लेकिन राजनीतिक और सुरक्षा मंजूरी अनिवार्य रहेगी. कुछ मामलों में छूट दी गई है. इसमें कोविड-19 वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए 31 दिसंबर तक चिकित्सा सामानों की आपूर्ति के लिए खरीद शामिल हैं.