के. परासरण का नाम आज देश का बच्चा बच्चा जान गया है, जितना श्रेय राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े नेताओं को इसका श्रेय जाता है, उससे कम श्रेय के परासरण का भी नहीं है. उनकी अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट में जो कानूनी लड़ाई लड़ी गई, तमाम वा”मपं’थी इतिहासकारों के झू”ठे तथ्यों को त’र्कों, और सुबूतों की कसौटी पर खा”रिज करने का काम राम लला पक्ष के वकीलों ने किया, उसकी प्रेरणा और मार्गदर्शक के परासरण ही थे. लेकिन आम लोग उनकी निजी जिंदगी के बारे में कम ही जानते हैं. आज उनके जन्मदिन पर जानते हैं, उनके बारे में कुछ अनसुनी और दिलचस्प बातें-
1. के परासरण अपने तर्कों में पुराने हिंदू ग्रंथों का इतना उल्लेख करते हैं कि एक बार मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय किशन कौल ने उन्हें ‘इंडियन बार का पितामह’ की उपाधि दे डाली थी और कहा था कि बिना अपने धर्म से विमुख हुए परासरणजी ने
कानून को अपना महती योगदान दिया है.
2. चाहे यूपीए हो या एनडीए, दोनों ही सरकारों में उन्हें काफी सम्मान मिला. इंदिरा गांधी की सरकार में वो सॉलिसिटर जनरल भी रहे और बाद में उन्हें अटॉर्नी जनरल भी बना दिया गया था. अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में (1999-2004) उन्हें संविधान की समीक्षा करने वाली ड्राफ्टिंग एंड एडीटोरियल कमेटी में सदस्य बनाया. वाजपेयी जी ने उन्हें 2003 में पद्मभूषण सम्मान से भी सम्मानित किया तो यूपीए-2 में मनमोहन सिंह सरकार ने उन्हें 2011 में पद्मविभूषण सम्मान दिया और ये तय माना जा रहा है कि मोदी सरकार उन्हें भारत रत्न देने पर विचार कर रही है.
3. यूपीए सरकार ने उन्हें न केवल पद्मविभूषण सम्मान दिया, बल्कि उन्हें राज्यसभा में भी मनोनीत किया.
4. 2016 से उन्होंने एक तरह का संन्यास ले लिया था, उन्होंने केस लेना बंद कर दिया था. तब से अब तक उन्होंने केवल 2 ही केस लिए. एक था राम जन्मभूमि का केस और दूसरा सबरीमाला मंदिर का केस. सबरीमाला मंदिर का केस अयप्पा भगवान के मंदिर में रजस्वला स्त्रियों के प्रवेश से जुड़ा था और राम मंदिर बाबरी विवाद तो देश की धड़कनों से ही जुड़ा था. उन्होंने इस केस में रामायण से ‘नैस्तिका ब्रह्मचर्य’ की अवधारणा भी समझाई, लेकिन यूपी तमाम तर्कों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने उनके सभी तर्कों को सबरीमाला केस में खारिज कर दिया, लेकिन राम मंदिर केस में 5 जजों की बेंच में से कोई भी जज उनके खिलाफ नहीं गया और करोड़ों रामभक्तों का उन्होंने दिल जीत लिया.
5. इसी वजह से सम्मान के तौर पर राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का उन्हें पहला ट्रस्टी मनोनीत किया गया है. उनके ग्रेटर कैलाश दिल्ली वाले घर में ही राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का रजिस्टर्ड ऑफिस बनाया गया है.
6. 1927 में तमिलानाडु के श्रीरंगम में पैदा हुए के परासरण के पिता केशव आयंगर भी ना केवल वकील थे बल्कि एक बड़े वैदिक विद्वान थे, उन्हीं का असर पड़ा परासरण पर भी. बचपन से ही उन्होंने प्राचीन भारतीय ग्रंथों का काफी अध्ययन किया और अक्सर कोर्ट में अपने तर्कों के बीच उनमें से कुछ ना कुछ उदधृत करते रहे.
7. उनके तीनों बेटे भी वकील ही हैं, उनके तीनों बेटों के नाम हैं- मोहन, सतीश और बालाजी. मोहन परासरण कुछ समय के लिए यूपीए-2 की मनमोहन सरकार में सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं. अब तो परिवार की चौथी पीढ़ी भी कोर्ट में प्रैक्टिस करने लगी है.
8. के. परासरण अलग अलग विचारधाराओं की सरकारों से जुड़े रहे हैं, लेकिन अपनी सोच से समझौता नहीं करते. एक बार तो इंदिरा गांधी की सरकार में सॉलिसिटर जनरल रहते हुए भी वो उनसे सहमत नहीं थे और उन्होंने खुलकर ऐतराज भी जताया. एक अखबार की बिल्डिंग को तोड़ने के शो कॉज नोटिस को लेकर उन्होंने साफ कर दिया कि ये कानूनी रूप से उचित नहीं है, लेकिन सरकार ने उनको राय नहीं मानी तो परासरण ने कहा कि इस्तीफा दे देंगे लेकिन सरकार के लिए कोर्ट में खड़े नहीं होंगे. बावजूद इसके उनकी बात में इतना वजन था कि पदोन्नति देकर 2 महीने बाद सरकार ने उन्हें अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया नियुक्त कर दिया.
9. साउथ के मशहूर अभिनेता कमल हासन के राजनीतिक विचार सबको पता हैं, और राम मंदिर के बारे में भी. लेकिन आपको ये जानकर हैरत होगी कि राम मंदिर निर्माण में इतनी बड़ी भूमिका निभाने वाले के परासरण कमल हासन के रिश्तेदार हैं. परासरण की पत्नी सरोजा कमल हासन की चचेरी बहन हैं.
10. एक बार तो परासरण की याद गांधी परिवार को प्रियंका गांधी की शादी के फौरन बाद तब आ गई थी, जब एक व्यक्ति ने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि रॉबर्ट वाड्रा से भी पहले प्रियंका की शादी उससे हो चुकी है. गांधी परिवार के कहने पर खुद के. परासरण ने ये मामला दिल्ली की तीस हजारी की फैमिली कोर्ट में संभाला. बाद में वो व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर साबित हुआ था.