देश के बड़े समाजवादी तथा दलित राजनेता रामविलास पासवान हमारे बीच नहीं रहे हैं।मगर रामविलास पासवान ने राजनीति के मैदान में एक लंबी पारी खेल कर अलविदा कहा।बहुत कम लोग जानते होंगे कि रामविलास पासवान अपने आरंभिक राजनीति के दिनों में कितने मजबूत राजनेता हुआ करते थे।
एक संस्मरण के मुताबिक रामविलास पासवान जब सांसद के रूप में इंदिरा गांधी की नेतृत्व वाली सरकार के समय संसद भवन में कांग्रेस से बहस कर रहे थे।तब इंदिरा गांधी के पुत्र तथा कांग्रेस सांसद संजय गांधी ने उन्हें चिढ़ाने का प्रयास किया।उस दौर में भी रामविलास पासवान अपने आप में इतनी हिम्मत रखते थे कि उन्होंने संजय गांधी को ललकार से हुए कहा कि ‘हम 1969 में विधायक बने दूसरी बार लोकसभा में आए हैं,आप बहुत जूनियर हैं ,अगर मुझे कुछ करना होगा तो आपकी मां कह सकती है’।
इतना ही नहीं संजय गांधी को रामविलास पासवान ने कह दिया कि ‘जनतंत्र में यह रंगबाजी नहीं चलेगी’। बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा कि पासवान जी आप इतने सीनियर मेंबर हैं।संजय को अपना छोटा भाई समझिए। इतना कहकर इंदिरा गांधी ने दोनों के बीच मेल मिलाप करवाया।उस दौरान संसद भवन में अपने संबोधन के क्रम में रामविलास पासवान ने हुंकार भरते हुए कहा था कि मैं बेलछी में नहीं भारत के संसद में बोल रहा हूं।उस जमाने में स्व- रामविलास पासवान के यह उदगार इस बात को प्रमाणित करते हैं कि रामविलास पासवान अपने प्रारंभिक राजनीति से लेकर आखरी दम तक हमेशा अपने शर्तों पर राजनीति करते रहे.
इतना ही नहीं बदलते राजनीतिक समीकरणों के मूल में भी रामविलास पासवान का राजनीतिक मस्तिष्क ही माना जाता था.आज केंद्रीय मंत्री तथा लोक जनशक्ति पार्टी एवं दलित सेना के के संस्थापक रामविलास पासवान के निधन पर पूरा बिहारी नहीं अपितु पूरे देश में शोक की लहर व्याप्त है।
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